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Showing posts from October, 2019

हम युवा है हम करे मुश्किलो से सामना।।

हम युवा हैं हम करें मुश्किलों का सामना मातृभूमि हित जगे है हमारी कामना ॥धृ॥ संस्कृति पली यहाँ पुण्यभू जो प्यारी है जननी वीरों की अनेक भरतभू हमारी है ऐसा अब युवक कहाँ दिल मे ज़िसके राम ना ॥१॥ ज्ञान के प्रकाश की ले मशाल हाथ में शील की पवित्रता है हमारे साथ में एकता के स्वर उठे छूने को ये आसमाँ ॥२॥ आँधियों में स्वार्थ की   त्यागदीप ना बुझे मातृभू को प्राण दूँ याद है शपथ मुझे मैं कहाँ अकेला हूँ साथ है ये कारवाँ ॥३॥ ये कदम हजारों अब रुक ना पाएँगे कभी मंजिलों पे पहुंचकर ही विराम ले सभी ध्येय पूर्ति पूर्व अब रुक ना पाये साधना ॥४ ॥

सरस्वती वन्दना

हे हंसवाहिनी, ज्ञान  दायिनी, अम्ब  विमल मति  दे  अम्ब  ……………. जग सिरमौर  बनाये  भारत, वह  बल  विक्रम  दे . वह  बल ……. साहस, शील  हृदय  में  भर  दे , जीवन  त्याग  तपोमय  कर  दे, सहनशक्ति  स्नेह  का  भर  दे, स्वाभिमान  भर  दे, स्वाभिमान  भर  दे .…….. हे  हंसवाहिनी , ज्ञान  दायिनी , अम्ब  विमल  मति  दे  अम्ब …………. लव, कुश, ध्रुव, प्रह्लाद  बने  हम, मानवता  का  त्रास  हरें  हम,…….. सीता, सावित्री, दुर्गा  मान  फिर  घर -घर  भर  दे, फिर  घर…….. हे  हंस  वाहिनी, ज्ञान  दायिनी, अम्ब विमल मति दे, अम्ब ……. हे हंसवाहिनी, ज्ञान  दायिनी,  अम्ब   विमल मति  दे

सरस्वती वन्दना

जयति जय माँ जय सरस्वती   जयति वीणा धारिणी माँ ॥ जयति जय पद्मासन माता जयति शुभ वरदायिनी माँ । जगत का कल्याण कर माँ तुम हो वीणा वादिनी माँ ॥ कमल आसन छोड़ कर आ देख मेरी दुर्दशा मां । ग्यान की दरिया बहा दे हे सकल जगतारणी माँ ॥

दीपावली पे क्यो ना आए पापा अबकी बार॥

अनामिका अम्बर का ये गीत हिन्दी काव्य मंचो पर बेहद पसंद किया गया है....। इस गीत पर अनेक नगरो में नाटिकाएं भी हुई हैं। इस गीत में एक 8 साल का बेटा दीपावली के त्यौहार पर अपनी माँ से बार-बार प्रश्न करता है की माँ मेरे पिता जी अभी तक क्यों नही आए हैं...उसकी माँ को पता चलता है की उसका पति और उस बच्चे का पिता सीमा पर युद्ध के दौरान शहीद हो गया है....पर वो अपने बेटे से इस बात को नही कह पाती.....आइये पढ़ते हैं ह्रदय को झकझोर देने वाले इस गीत को.... चारो तरफ़ उजाला पर अँधेरी रात थी। वो जब हुआ शहीद उन दिनों की बात थी॥ आँगन में बैठा बेटा माँ से पूछे बार-बार। दीपावली पे क्यो ना आए पापा अबकी बार॥ माँ क्यो न तूने आज भी बिंदिया लगाई है ? हैं दोनों हात खाली न महंदी रचाई है ? बिछिया भी नही पाँव में बिखरे से बाल हैं। लगती थी कितनी प्यारी अब ये कैसा हाल है ? कुम-कुम के बिना सुना सा लगता है श्रृंगार.... दीपावली पे क्यों ना आए पापा.......................॥ बच्चा बहार खेलने जाता है...और लौट कर शिकायत करता है.... किसी के पापा उसको नये कपड़े लायें हैं। मिठाइयां और साथ में पटाखे ल...

अयोध्या की आग पर

अयोध्या की आग पर चर्चा है अख़बारों में टी.वी. में बाजारों में डोली, दुल्हन,कहारों में सूरज,चंदा,तारों में आँगन, द्वार, दिवारों में घाटी और पठारों में लहरों और किनारों में भाषण-कविता-नारों में गाँव-गली-गलियारों में दिल्ली के दरबारों में धीरे-धीरे भोली जनता है बलिहारी मजहब की ऐसा ना हो देश जला दे ये चिंगारी मजहब की मैं होता हूँ बेटा एक किसानी का झोंपड़ियों में पाला दादी-नानी का मेरी ताकत केवल मेरी जुबान है मेरी कविता घायल हिंदुस्तान है मुझको मंदिर-मस्जिद बहुत डराते हैं ईद-दिवाली भी डर-डर कर आते हैं पर मेरे कर में है प्याला हाला का मैं वंशज हूँ दिनकर और निराला का मैं बोलूँगा चाकू और त्रिशूलों पर बोलूँगा मंदिर-मस्जिद की भूलों पर मंदिर-मस्जिद में झगडा हो अच्छा है जितना है उससे तगड़ा हो अच्छा है ताकि भोली जनता इनको जान ले धर्म के ठेकेदारों को पहचान ले कहना है दिनमानों का बड़े-बड़े इंसानों का मजहब के फरमानों का धर्मों के अरमानों का स्वयं सवारों को खाती है ग़लत सवारी मजहब की | ऐसा ना हो देश जला दे ये चिंगारी मजहब की || बाबर हमलावर था मन में गढ़ लेना इतिहासों में लिखा है पढ़ लेना जो तुलना करते...

कश्मीर के दिल की धड़कन

घाटी के दिल की धड़कन काश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की रजधानी था डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी था काश्मीर जो इस धरती का स्वर्ग बताया जाता था जिस मिट्टी को दुनिया भर में अर्ध्य चढ़ाया जाता था काश्मीर जो भारतमाता की आँखों का तारा था काश्मीर जो लालबहादुर को प्राणों से प्यारा था काश्मीर वो डूब गया है अंधी-गहरी खाई में फूलों की खुशबू रोती है मरघट की तन्हाई में ये अग्नीगंधा मौसम की बेला है गंधों के घर बंदूकों का मेला है मैं भारत की जनता का संबोधन हूँ आँसू के अधिकारों का उदबोधन हूँ मैं अभिधा की परम्परा का चारण हूँ आजादी की पीड़ा का उच्चारण हूँ इसीलिए दरबारों को दर्पण दिखलाने निकला हूँ | मैं घायल घाटी के दिल की धड़कन गाने निकला हूँ || बस नारों में गाते रहियेगा कश्मीर हमारा है छू कर तो देखो हिम छोटी के नीचे अंगारा है दिल्ली अपना चेहरा देखे धूल हटाकर दर्पण की दरबारों की तस्वीरें भी हैं बेशर्म समर्पण की काश्मीर है जहाँ तमंचे हैं केसर की क्यारी में काश्मीर है जहाँ रुदन है बच्चों की किलकारी में काश्मीर है जहाँ तिरंगे झण्डे फाड़े जाते हैं सैंतालिस के बंटवारे के घाव उघाड़े जाते हैं काश्मीर है ज...