सुन माता अंजना ध्यान से तेरा लल्ला अखाड़ मे दण्ड पेलता।

एक बार हनुमान जी की माता अंजान हनुमान जी के मित्रों से हनुमान जी की जानकारी के लिए आती है और उनके मित्रों से पूछती है मेरा लल्ला क्या खाता है क्या पीता है?और कौन से खेल खेलता है? 
तो हनुमान जी के मित्र बताते हैं? 

न भागता फिरता न कुंदता गिरता
 न ही किसी के संग खेल खेलता। 
सुन माता अंजना ध्यान से 
तेरा लल्ला अखाड़ मे दण्ड पेलता। 

फिर हनुमान जी के मित्र माता अंजना को बताते हैं की हनुमान जी करते क्या है? 

वायु को अपने भीतर भरे हैं, 
छत्तीसो आसान योगा करे है।
रस्सा लटक जाए खम्बे पे डट - 2
गो देशी गोदी में खेल खेलता।। 1।। 
सुन माता अंजना ध्यान से ................ 

मारे गलाचा जब ताल ठोके, 
 रख दे सभी को धोबी सा धोके। 
हो कोई बलवान या फिर पहलवान-2
सबको ही मिट्टी मे रेल पेलता।। 2।। 
सुन माता अंजना ध्यान से ................ 

हनुमान जी के मित्रों से उनकी पड़ाई लिखाई के बारे मे पूछती है तो मित्र बताते हैं... 

राम ही शिक्षा राम ही दीक्षा, 
राम ही फल है राम परीक्षा। 
राम उसका हर काम राम उसकी व्यायाम-2
बस राम नाम की रोटी बेलता।।3।। 
सुन माता अंजना ध्यान से ................. 

हनुमान जी के मित्र माता अंजना को हनुमान जी के व्यायाम के बारे मे बताते हैं... 

तैरे तो तैरे दौड़े तो दौड़े, 
बैठक लगाए मुगदर न छोड़े। 
गिनती जो गिनती लगाए जो गिनती की -2
गिनती को गिन गिन के खेल खेलता।।4।। 
सुन माता अंजना ध्यान से....................... 

हनुमान जी के मित्र अंत मे बताते हैं..... 

वो सब सहे तो सहते बने न, 
अब हम सभी से कहते बने न। 
सोना तापने को कुंदन बनाने को -2
तन पे हजारो ये कष्ट झेलता।।5।। 
सुन माता अंजना ध्यान से ................. 






Comments

Popular posts from this blog

दीपावली पे क्यो ना आए पापा अबकी बार॥

जब तक सूरज चंदा चमके तब तक ये हिंदुस्तान रहे।