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Showing posts from January, 2020

वीरो का कैसा हो वसंत

आ रही हिमालय से पुकार है उदधि गरजता बार बार प्राची पश्चिम भू नभ अपार; सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त वीरों का कैसा हो वसंत फूली सरसों ने दिया रंग मधु लेकर आ पहुंचा अनंग वधु वसुधा पुलकित अंग अंग; है वीर देश में किन्तु कंत वीरों का कैसा हो वसंत भर रही कोकिला इधर तान मारू बाजे पर उधर गान है रंग और रण का विधान; मिलने को आए आदि अंत वीरों का कैसा हो वसंत गलबाहें हों या कृपाण चलचितवन हो या धनुषबाण हो रसविलास या दलितत्राण; अब यही समस्या है दुरंत वीरों का कैसा हो वसंत कह दे अतीत अब मौन त्याग लंके तुझमें क्यों लगी आग ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग; बतला अपने अनुभव अनंत वीरों का कैसा हो वसंत हल्दीघाटी के शिला खण्ड ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड राणा ताना का कर घमंड; दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत वीरों का कैसा हो वसंत भूषण अथवा कवि चंद नहीं बिजली भर दे वह छन्द नहीं है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं; फिर हमें बताए कौन हन्त वीरों का कैसा हो वसंत

जीना है तो गरजे जग में संघ गीत

जीना है तो गरजे जग में हिन्दु हम सब एक उलझे सुलझे प्रश्नों का है उत्तर केवल एक॥धृ॥ केशव के चिंतन दर्शन से संघटना का मंत्र सिखाया आजीवन अविराम साधना तिल तिल कर सर्वस्व चढाया एक दीप से जला दूसरा जलते दीप अनेक ॥१॥ भाषा भूषा मतवालों की बहुरंगी यह परम्परा सर्व पंथ समभाव सिखाती ऋषि-मुनियोंकी दिव्य धरा इन्द्रधनुष की छटा स्त्रोत में शुभ्र रंग है एक ॥२॥ स्नेह समर्पण त्याग हृदय में सभी दिशा में लायेंगे समता की नवजीवन रचना हम सबको अपनायेंगे आज समय की यही चुनौती भूले भेद अनेक ॥३॥   

जहाँ डाल्-डाल् पर् सोने की चिड़ियां करती है बसेरा वो भारत् देश् है मेरा

जहाँ डाल्-डाल् पर् सोने की चिड़ियां करती है बसेरा वो भारत् देश् है मेरा जहाँ सत्य अहिंसा और् धर्म् का पग्-पग् लगता डेरा वो भारत् देश् है मेरा ये धरती वो जहां ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम् की माला जहां हर् बालक् एक् मोहन् है और् राधा हर् एक् बाला जहां सूरज् सबसे पहले आ कर् डाले अपना फेरा वो भारत् देश् है मेरा अलबेलों की इस् धरती के त्योहार् भी है अलबेले कहीं दीवाली की जगमग् है कहीं हैं होली के मेले जहां राग् रंग् और् हँसी खुशी का चारो और् है घेरा वो भारत् देश् है मेरा जहां आसमान् से बाते करते मंदिर् और् शिवाले जहां किसी नगर् मे किसी द्वार् पर् को न ताला डाले प्रेम् की बंसी जहां बजाता है ये शाम् सवेरा वो भारत् देश् है मेरा॥।  

ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा

ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा   ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आये जो लौट के घर ना आये ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी तुम भूल ना जाओ उनको इसलिए सुनो ये कहानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी जब घायल हुआ हिमालय खतरे में पड़ी आज़ादी जब तक थी साँस लड़े वो जब तक थी साँस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी संगीन पे धर कर माथा सो गये अमर बलिदानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली जब हम बैठे थे घरों में जब हम बैठे थे घरों में वो झेल ...

उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती देश है पुकारता पुकारती मा भारती

उठो जवान उठो जवान देश की वसुंधरा पुकारती देश है पुकारता पुकारती मा भारती ॥धृ॥ रगो मे तेरे बह रहा खून राम शाम का जगद्गुरु गोविंद और राजपूती शान का तू चल पडा तो चल पडेगी साथ तेरे भारती ॥१॥ है शत्रू दनदना रहा च हू दिशा मे देश की पता बता रही हमे किरन किरन दिनेश की वो चक्रवर्ती विश्वजयी मातृभूमी हारती ॥२॥ उठा कदम बढा कदम कदम कदम बढाये जा कदम कदम पे दुश्मनो के धड से सर उडाये जा उठेगा विश्व हाथ जोड करने तेरी आरती ॥३॥