जीना है तो गरजे जग में संघ गीत



जीना है तो गरजे जग में
हिन्दु हम सब एक
उलझे सुलझे प्रश्नों का है
उत्तर केवल एक॥धृ॥
केशव के चिंतन दर्शन से
संघटना का मंत्र सिखाया
आजीवन अविराम साधना
तिल तिल कर सर्वस्व चढाया
एक दीप से जला दूसरा
जलते दीप अनेक ॥१॥
भाषा भूषा मतवालों की
बहुरंगी यह परम्परा
सर्व पंथ समभाव सिखाती
ऋषि-मुनियोंकी दिव्य धरा
इन्द्रधनुष की छटा स्त्रोत में
शुभ्र रंग है एक ॥२॥
स्नेह समर्पण त्याग हृदय में
सभी दिशा में लायेंगे
समता की नवजीवन रचना
हम सबको अपनायेंगे
आज समय की यही चुनौती
भूले भेद अनेक ॥३॥
  

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